Friday, May 4, 2007

Once again Lage Raho Munna Bhai...

शाहेर कि ईस दौड़ मैं दौड़ के करना क्या है ?

जब यहीं जीना है दोस्तो तो फिर मरना क्या है ?

पहली बारिश मैं ट्रेन लेट होने कि फिक्र है ,

भूल गए भीगे हुए तहेलना क्या है ?

सेरिअल्स के किर्दारो का सारा हाल है मालुम पर माँ का हाल पूछने कि फुर्सत किसे है ?

अब रेत पे नंगे पाऊँ तहेलते क्यों नही ?

१०८ है चैनल फिर दिल बहेलता क्यों नही ?

इन्टरनेट कि दुनिया के तो touch मैं हैं, लेकिन पड़ोस मैं कौन रहता है जानते तक नही ।

मोबाइल, लंद्लिने सब कि भरमार है, लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुचे ऐसी तार कहॉ है?

कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद है? कब जाना था शाम का वोह बनना क्या है?

तो दोस्तो शाहेर कि ईस दौड़ मैं करना क्या है, जब यही जीना है तो फिर मरना क्या है?


This is a short dialogue from "Lage Raho Munna Bhai" movie delivered by a swt actress with an unlimited smile.......
I love the dialogue and the smile on the actress face...
I too get a big smile when I read those lines... It makes my day a whole lot better...
So this one is for u all to uplift ur day and keep smiling... :))

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